फरह क्षेत्र में पर्यटकों के लिए पिकनिक स्पॉट बनेगी जोधपुर झाल

Date: 2024-04-04
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मथुरा
फरह क्षेत्र में आगरा की सीमा पर स्थित जोधपुर झाल आने वाले समय में ईको टूरिज्म और जल संचयन का मॉडल बनेगी। करीब 7.63 करोड़ रुपये की लागत से 55.03 हेक्टेयर क्षेत्रफल में वेटलैंड विकसित किया जाएगा, जिसमें 185 प्रजातियों के देशी और विदेशी पक्षियों का आवागमन होगा। इस झाल को आगरा और मथुरा के पर्यटकों और प्रकृति प्रेमियों के लिए पिकनिट स्पॉट की तरह विकसित किया जाएगा। 

जोधपुर झाल को ईको टूरिज्म के नजरिए से विकसित किए जाने की मांग लंबे समय से उठ रही थी, इसकी कार्ययोजना भी बनाकर शासन को भेजी गई। कार्ययोजना की स्वीकृति के बाद शासन ने आचार संहिता से पहले जोधपुर झाल के कायाकल्प के लिए हरी झंडी दे दी। जोधपुर झाल तीन नहरों आगरा कैनाल, आगरा टर्मिनल और कीठम एस्केप के बीच का क्षेत्र है। करीब 7.63 करोड़ रुपये की लागत से इसमें 55.03 हेक्टेयर क्षेत्रफल में वेटलैंड विकसित किया जाएगा। 

5 हेक्टेयर में प्रशासिनक भवन और बाकी हिस्से पर वेटलैंड बनेगा। इसमें 3 वाच टावर बनाए जाएंगे। वेटलैंड के 6 हेक्टेयर क्षेत्रफल में पौधरोपण होगा, जबकि 6 हेक्टेयर में ग्रास लैंड विकसित किया जाएगा। इसके अलावा 6 जलाशय और इनमें 13 आइसलैंड होंगे। कुल मिलाकर यह स्थल आगरा और मथुरा के पर्यटकों और प्रकृति प्रेमियों के लिए बेहतरीन पर्यटन स्थल के तौर पर विकसित होने जा रहा है। 

मंगलवार को इसी परियोजना को लेकर उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद के सीईओ एसबी सिंह, डिप्टी सीईओ जेपी पांडेय, पर्यावरण सलाहकार मुकेश शर्मा, आर्किंटेक्ट मयंक गर्ग आदि जोधपुर झाल पहुंचे और विकास कार्यों का जायजा लिया। वर्तमान में यहां जेसीबी से वाटर बॉडी बनाए जाने का काम चल रहा है, जिसका मुआयना तीर्थ विकास परिषद के अधिकारियों ने किया।

आ रहे फ्लेमिंगो और पेलिकन प्रजाति के पक्षी बरसाती पानी के प्रबंधन के कारण यहां फ्लेमिंगो और पेलिकन प्रजाति के पक्षियों का आना शुरू हो गया है। विश्वस्तर पर इन पक्षियों की रिसर्च आदि में काफी मांग है। ये प्रवासी पक्षी हैं, जो अनुकूल मौसम में वेटलैंड में आ जाएंगे। फिलहाल 185 प्रजातियों के देशी-विदेशी पक्षी यहां आ रहे हैं। 

इसी पक्षी विहार को केंद्र में रखकर यहां पर्यटन स्थल विकसित किया जा रहा है। जल संचयन और पक्षियों को अनुकूल वातावरण उपलब्ध कराने के लिए वेटलैंट में छह जलाशय बनाए जाएंगे। एक बड़ा जलाशय होगा, जो कि पांच हेक्टेयर में होगा, अन्य पांच जलाशय ढाई से तीन हेक्टेयर के होंगे। इनमें बरसात के पानी का संचयन अच्छी तरह हो जाएगा, जो पूरे साल बरकरार रहेगा। 

इन जलाशयों के लिए सोलर पंप लगाए जाएंगे। हरियाली के बीच पर्यटक करेंगे नेचर वॉक छहों जलाशयों के चारों ओर वॉकिंग चैनल यानि फुटपाथ बनाए जाएंगे, ताकि पर्यटक इन पर टहलकर प्रकृति का आनंद उठा सकें। इस पूरे क्षेत्र के चारों ओर फेंसिंग कराई जाएगी, ताकि बाहर से जानवर आदि घुसकर पेड़-पौधों को नुकसान न पहुंचा सकें।

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