बिनौली
अतिशय क्षेत्र मंदिर में अष्टाह्निका पर्व के उपलक्ष्य में चल रहे श्री सिद्धचक्र महामंडल विधान के सातवें दिवस शनिवार को श्रद्धालुओं ने भक्तिभाव के साथ 512 अर्घ्य समर्पित किए।वहीं पंडित संतोष जैन ने प्रवचन में कहा कि, मानव सिद्धत्व का बीज है।
जिस प्रकार बीज में अंकुरित होकर वृक्ष बनने, पुष्पित एवं फलित होने की क्षमता होती है,उसी प्रकार मानव में ही संयम, त्याग एवं तपस्या का आधार लेकर साधुत्व को प्राप्त कर क्रमशः पुष्पित फलित होकर केवलत्व एवं मोक्ष को प्राप्त करने की योग्यता है।
उन्होंने कहा,कार्य की सफलता संकल्प शक्ति, सम्यक पुरुषार्थ एवं सम्यक आचरण पर निर्भर होती है। अनंत मेघा एवं ऊर्जा के संवाहक तीर्थंकर भगवंतों ने जिस आचरण प्रक्रिया से केवलत्व को प्राप्त किया है, वह आगम में वर्णित की है। आचार्य ने मूल एवं टीका के द्वारा श्रावक एवं मुनिचर्या का प्रशस्त किया है।
उत्कृष्ट मुनिचर्या की सामर्थ्य न होने पर सद्गृहस्थ का व्रत नियम पूर्वक आचरण परंपरा से मोक्ष का कारण बनता है।इस दौरान प्रमोद जैन, सुनील जैन, विनोद जैन, सुरेंद्र जैन, पं विकास जैन, मोहित जैन, पीयूष जैन, सुमन जैन, प्रमिला जैन, कृतिका जैन, अंकिता जैन, नीति जैन,आदि मौजूद रहे।