आंखों से गुम होती रोशनी की गति कम कर एम्स मरीजों की जिंदगी को खुशहाल कर रहा है। इन मरीजों को एम्स में इलाज के साथ रोजगार के अवसर भी मिलते हैं। साथ ही उनके हुनर भी निखारे जाते हैं।
दरअसल, एम्स का डॉ. राजेंद्र प्रसाद नेत्र विज्ञान केंद्र में सामुदायिक नेत्र विज्ञान आंखों के मरीजों को पुनर्वास की सुविधा देता है। इस दौरान देशभर से रेफर होकर यहां आने वाले मरीजों की आंखों की जांच होती है। जांच में देखा जाता है कि मरीज की आंखों में रोशनी किस स्तर की है। साथ ही मरीज क्या करना चाहता है। यदि कोई मरीज रोजगार पाने की इच्छा रखता है तो उसे वोकेशनल ट्रेनिंग की सुविधा दी जाती है।
इसके लिए एम्स ने दिल्ली-एनसीआर में काम कर रहे 12 सेंटरों के साथ हाथ मिलाया है। इन केंद्रों में मरीजों को ट्रेनिंग के लिए भेजने से पहले मरीजों का पूरा मूल्यांकन किया जाता है। इसमें देखा जाता है कि मरीज की इच्छा क्या है। उसका शरीर किस काम के लिए उपयुक्त है। क्या काम करने से उसे भविष्य में फायदा होगा। इन जांच के बाद मरीज को मानसिक रूप से ट्रेनिंग के लिए तैयार किया जाता है। उसके बाद उक्त संस्थान में उसकी ट्रेनिंग होती है।
एम्स के इस केंद्र में बीते साल 2768 मरीजों का पुनर्वास हुआ। इसमें 18 साल से कम उम्र के 909 पुरुष और 496 महिला मरीज और 18 साल से अधिक उम्र के 958 पुरुष और 405 महिला मरीज शामिल हैं।
पढ़ाई के लिए भी करता है मदद
एम्स का यह केंद्र आंखों की जांच के बाद बच्चों को विशेष स्कूलों में दाखिला भी दिलवाता है। एम्स ने देशभर में ऐसे 19 स्कूलों के साथ समझौता किया है। इसमें अधिकतर स्कूल दिल्ली-एनसीआर में हैं। डॉक्टरों की माने तो पिछले दिनों इन स्कूलों में केंद्र की मदद से 19 मरीजों को दाखिला करवाया गया है। इन स्कूल में दाखिले के लिए केंद्र से 100 मरीजों को भेजा गया था जिसमें से दिल्ली-एनसीआर के 19 बच्चों ने दाखिला लिया। डॉक्टरों का कहना है कि यह सुविधा 18 साल से कम उम्र के मरीजों को दी जाती है।
केंद्र में आने वाले 18 साल से अधिक उम्र के मरीजों को वोकेशनल ट्रेनिंग के लिए तैयार किया जाता है। हमारी कोशिश है कि इन दिव्यांग को सशक्त बनाकर लोगों के लिए बीच प्रेरणा बनाएं। इन्हें देखकर दूसरे भी खुद के पैरों पर खड़े होने के लिए हुनर की तलाश करेंगे।
12 मरीजों को मिला दाखिला
एम्स से संबंधित इन वोकेशनल ट्रेनिंग सेंटर में पिछले दिनों एम्स से 97 मरीजों को भेजा गया। इन मरीजों से दिल्ली-एनसीआर में रहने वाले 12 मरीजों ने दाखिला लिया। डॉक्टरों के अनुसार ट्रेनिंग के बाद मरीज खुद के लिए रोजगार हासिल कर सकेंगे। इससे उनके सामने आने वाली आर्थिक समस्या भी कम होती। इन 12 मरीजों में से नौ पुरुष और तीन महिला मरीज हैं। केंद्र में आने वाले मरीजों की एडवांस मशीन की मदद से जांच होती है। जांच के दौरान आंखों की रोशनी को देखा जाता है। साथ उनकी मदद के लिए मोबाइल एप भी उपलब्ध करवाया जाता है।