महावन में रमणरेती आश्रम में श्री कार्ष्णि गोपाल जयंती महोत्सव के तीसरे दिन ठाकुर जी का डोला निकाला गया। संतों व श्रद्धलुओं ने आश्रम की परिक्रमा की। योग गुरु रामदेव ने कहा कि योग करने से निरोगी काया मिलती है।
कहा कि अयोध्या में रामलला विराजमान हो गए हैं, अब कृष्णलला की बारी है, इसे भी हम करके दिखाएंगे। पांच दिवसीय महोत्सव में लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि भारत में बाबर, हुमायूं के साथ लगभग 20 मुस्लिम आए थे, अब 20 करोड़ की संख्या में हैं।
हम उन्हें भारत में प्रवेश नहीं करने देते तो आज यह स्थिति नहीं होती। कहा कि योग करने से काया स्वस्थ व सुंदर बनी रहती है। इसलिए सुबह हर व्यक्ति को अनुलोम- विलोम, कपालभाती, मयूर आसन आदि करना चाहिए। वाराणसी के ज्ञानवापी पर कहा कि गर्भगृह में स्थान तो मिल गया, विद्वानों द्वारा पूजा अर्चना की जा चुकी है।
पीठाधीश्वर कार्ष्णि गुरुशरणानंद महाराज ने कहा कि कार्ष्णि शब्द की उत्पत्ति कृष्ण से हुई है। जितने कार्ष्णि हैं, हमें उनमें कृष्ण की झलक दिखाई देती है। जीवन को सफल बनाने के लिए हमें कृष्ण की शरण में जाना होगा।
महामंडलेश्वर स्वामी गोविंद देव गिरि ने कहा भारत को खंडों में बांट दिया गया। कश्मीर का हिस्सा पाकिस्तान में चला गया। मानसरोवर चला गया। सिंधु नदी चली गई। अब विकसित भारत की बारी है।
महामंडलेश्वर अवधेशानंद नंद महाराज ने कहा कि गुरु भगवान का विग्रह है। हमें गुरु की शरण में रहकर ईश्वर की राह देखनी होगी। तभी मनुष्य को मोक्ष प्राप्त होगा। रमेश भाई ओझा ने तुलसी पर से चर्चा की।
उन्होंने कहा एक तुलसी घर के अंदर होती है, एक तुलसी ठाकुरजी के प्रसाद में होती है। एक तुलसी गले में पहनी जाती है, एक तुलसी वृंदावन में पाई जाती है। तुलसी का मनुष्य के जीवन में महत्वपूर्ण स्थान है।
मलूक पीठाधीश्वर राजेंद्र दास महाराज, विद्या भास्कर, रामानुजाचार्य, कार्ष्णि ब्रजेशानंद महाराज ने प्रवचन किए। हरदेवानंद महाराज, गोविंदानंद महाराज, नागेंद्र महाराज, उमेश जटवानी, चंदर अरोड़ा, विजय अजवानी, नीरज मिश्रा, राजेश मौजूद रहे।