जम्मू-कश्मीर में फिर आया भूकंप, घरों से बाहर निकले लोग

Date: 2023-12-21
news-banner
केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में बुधवार रात 8.36 बजे भूकंप के झटके महसूस किए गए। रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 3.5 मापी गई। इसका केंद्र किश्तवाड़ रहा। भूकंप के झटकों से घबराकर लोग अपने अपने घरों से बाहर निकलकर खुले में जा पहुंचे। 

इससे पहले दो दिन पहले सोमवार को भी जम्मू-कश्मीर में 5.5 तीव्रता का भूकंप आया था।  उस दिन जम्मू, श्रीनगर, पुंछ, किश्तवाड़, कारगिल समेत कई हिस्सों में भूकंप के झटके लगे थे। एक घंटे के भीतर पांच बार धरती कांपी थी।

पृथ्वी के अंदर 7 प्लेट्स हैं, जो लगातार घूमती रहती हैं। जहां ये प्लेट्स ज्यादा टकराती हैं, वह जोन फॉल्ट लाइन कहलाता है। बार-बार टकराने से प्लेट्स के कोने मुड़ते हैं। जब ज्यादा दबाव बनता है तो प्लेट्स टूटने लगती हैं। नीचे की ऊर्जा बाहर आने का रास्ता खोजती हैं और डिस्टर्बेंस के बाद भूकंप आता है।

भूकंप का केंद्र उस स्थान को कहते हैं जिसके ठीक नीचे प्लेटों में हलचल से भूगर्भीय ऊर्जा निकलती है। इस स्थान पर भूकंप का कंपन ज्यादा होता है। कंपन की आवृत्ति ज्यों-ज्यों दूर होती जाती हैं, इसका प्रभाव कम होता जाता है। फिर भी यदि रिक्टर स्केल पर 7 या इससे अधिक की तीव्रता वाला भूकंप है तो आसपास के 40 किमी के दायरे में झटका तेज होता है। लेकिन यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि भूकंपीय आवृत्ति ऊपर की तरफ है या दायरे में। यदि कंपन की आवृत्ति ऊपर को है तो कम क्षेत्र प्रभावित होगा।

भूंकप की जांच रिक्टर स्केल से होती है। इसे रिक्टर मैग्नीट्यूड टेस्ट स्केल कहा जाता है। रिक्टर स्केल पर भूकंप को 1 से 9 तक के आधार पर मापा जाता है। भूकंप को इसके केंद्र यानी एपीसेंटर से मापा जाता है। भूकंप के दौरान धरती के भीतर से जो ऊर्जा निकलती है, उसकी तीव्रता को इससे मापा जाता है। इसी तीव्रता से भूकंप के झटके की भयावहता का अंदाजा होता है।

भूकंप की भविष्यवाणी नहीं की जा सकती है। लेकिन नए घरों और इमारतों को भूकंप को ध्यान में रखते हुए निर्माण किया। मकान बनाने से पहले जमीन की जांच कर ली जानी चाहिए। वहीं अगर अचानक से भूकंप आ जाएं तो सब पहले खुले मैदान में जाएं। किसी आवास या कार्यालय में ही फंस गए हों तो टेबल या बेड के नीचे छिपें। लेकिन, खतरों से खाली विकल्प है आवास से बाहर निकलें।

Leave Your Comments