खेकड़ा और पिलाना में प्रतिवर्ष 75-80 सेमी घट रहा है भूजल स्तर, बागपत, बालैनी व छपरौली भी सेमी क्रिटिकल स्थिति में

Date: 2024-02-29
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बागपत
अति जल दोहन के कारण खेकड़ा और पिलाना में भूजल स्तर प्रतिवर्ष 75-80 सेमी नीचे जा रहा है। दूसरी ओर बागपत बडौत व छपरौली की दशा भी ज्यादा बढिया नहींं है, यहां  भूजल स्तर सेमी क्रिटिकल स्थिति में आ चुका है।वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ एमएस हुसैन ने आज छपरौली में एक कार्यक्रम में उक्त आंकड़े पेश किए। यह हालत तो तब है, जब बडौत, बागपत छपरौली व खेकड़ा क्षेत्र में यमुना नदी प्रवाहित है। बिनौली व पिलाना क्षेत्र में हिंडन नदी बहती है। 

केंद्रीय भूजल बोर्ड, उत्तरी क्षेत्र, लखनऊ, जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग, जल शक्ति मंत्रालय द्वारा सतत भूजल विकास और प्रबंधन' विषय पर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। राजीव गांधी राष्ट्रीय भूजल प्रशिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान, छत्तीसगढ़ के तत्वाधान में छपरौली के चौ चरण सिंह राजकीय महाविद्यालय में आयोजित कार्यक्रम की विधिवत शुरुआत मां सरस्वती और भारत रत्न चौ चरण सिंह के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन व माल्यार्पण के द्वारा की गई। 

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि चौ चरण सिंह राजकीय महाविद्यालय छपरौली के प्राचार्य प्रो प्रतीत कुमार ने भूजल विभाग के सभी वरिष्ठ वैज्ञानिकों और उनकी टीम का स्वागत किया और कहा कि, यह महाविद्यालय चौ चरण सिंह के नाम पर है ,जिन्होंने ग्रामीण भारत की उन्नति के लिए जीवन पर्यन्त कार्य किया। आज यह कार्यक्रम ग्रामीण क्षेत्र में स्थित इस महाविद्यालय में आयोजित होना बहुत ही सामयिक एवं प्रासंगिक है। प्रो प्रतीत कुमार ने कहा कि , आप सभी वैज्ञानिक अपने शोध कार्यों से भू-जल संरक्षण, संवर्धन का महत्वपूर्ण और बुनियादी कार्य कर राष्ट निर्माण का कार्य कर रहे हैं। 

प्रशिक्षण कार्यक्रम में कॉलेज के छात्रों, प्रोफेसरों, ड्रिलिंग पेशेवरों सहित कुल 150 लोगों ने भाग लिया ,जिन्होंने बेसिक हाइड्रोजियोलॉजी, एक्विफर मैपिंग, सतत भूजल विकास और प्रबंधन के लिए कार्यप्रणाली, भू-जल  की रासायनिक गुणवत्ता जैसे विषय मुद्दों पर गंभीर चिंतन मनन और विचार विमर्श किया गया। 

तकनीक सत्र में बागपत जिले में भू-जल की स्थिति को लेकर विशेष अध्ययन और सर्वेक्षण भी शामिल किया गया। एसएम हुसैन, वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रशिक्षण पाठ्यक्रम निदेशक, सीजीडब्ल्यूबी ने बागपत जिले की भूजल स्थिति का एक सिंहावलोकन प्रस्तुत किया, जहां उन्होंने भूजल स्तर और इसकी वर्तमान निकासी और संसाधन स्थिति से संबंधित कुछ आंकड़े दिए। 

बताया कि, प्री-मानसून अवधि 2023 में भूजल स्तर 8.75 से 42.51 मीटर बिलो ग्राउंड लेवल और औसत - 23.47 मीटर ग्राउंड लेवल था, जबकि मानसून के बाद 2023 में यह 5.87 से 34.25 मीटर तक है। खेकड़ा ब्लॉक में यह 75 सेमी प्रतिवर्ष की दर से घट रही है और पिलाना ब्लॉक में यह 80 सेमी की दर से घट रही है। 

खेकड़ा, पिलाना और बिनौली जैसे कुछ ब्लॉकों में ऊपरी जलवृत आंशिक रूप से, लेकिन स्थायी रूप से पानी रहित हो रहा है। 6 ब्लॉकों में से तीन ब्लॉक अर्थात् बागपत, बड़ौत और छपरौली सेमी-क्रिटिकल श्रेणी में आ रहे हैं, जबकि ब्लॉक खेकड़ा, पिलाना और बिनौली गतिशील भूजल संसाधन के आधार पर अति-दोहित श्रेणी में आते हैं। 

इस कार्यक्रम में करम सिंह वरिष्ठ वैज्ञानिक ने बागपत जिले की भूजल गुणवत्ता के बारे में विस्तार से जानकारी दी । कार्यक्रम में केंद्रीय भूमि जल बोर्ड के वैज्ञानिक विद्या भूषण एवं सुरेंद्र सिंह सिसोदिया यूनिट इंचार्ज ड्रिलिंग साइट ने भी तकनीकी सत्र में भूजल प्रबंधन को लेकर महत्वपूर्ण व्याख्यान दिए। 

कार्यक्रम के तकनीकी सत्र के बाद डेमोंस्ट्रेशन सत्र में सभी छात्र-छात्राओं को ड्रिलिंग के स्थान पर ले जाकर ड्रिलिंग की प्रक्रिया से भी अवगत कराया गया ,साथ ही पानी के नमूने लेकर पानी की रासायनिक गुणवत्ता के विषय में गहन जांच पड़ताल की गई और पीने के पानी से संबंधित बुनियादी जानकारी साझा की गई। 

इस दौरान सभी छात्रछात्राओं से फीडबैक भी लिया गया व उनकी जिज्ञासाओं का समाधान किया गया और सभी प्रतिभागियों को संगोष्ठी में प्रतिभा करने के लिए प्रमाण पत्र भी वितरित किए गए।प्रो चंचल गर्ग, प्रो अनिला पंवार, डॉ भीष्म सिंह और डॉ मोनू सिंह एवं बड़ी संख्या में जिज्ञासु छात्र छात्राएं उपस्थित रहे।

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