संसद हमले की 22वीं बरसी पर संसद भवन की सुरक्षा में एक बड़ी चूक सामने आई है। लोकसभा की कार्यवाही के दौरान दर्शक दीर्घा से एक युवक सदन में कूद पड़ा। उसने अपने जूते से एक कैप्सूल 'कैन्स्टर' निकालकर फोड़ दिया। वह कैन्स्टर मुख्य गेट पर मौजूद सुरक्षा कर्मियों की पकड़ में नहीं आ सका। सुरक्षा दस्ते से जुड़े एक सूत्र का कहना है कि वह कैप्सूल इतना छोटा था कि उसे जांच के दौरान पकड़ पाना मुश्किल था। जब उस युवक की जांच की गई, तब संसद की दर्शक दीर्घा में आने वालों की लाइन लगी हुई थी। हालांकि दूसरे लोगों की तरह, उसकी जांच भी की गई थी। उसके पास कोई ऐसी वस्तु नहीं मिली, जिसमें किसी धातु का अंश हो। चूंकि वह कैप्शल उसके जूते में छिपा था, इसलिए वहां तक किसी की नजर नहीं पहुंची। यही वजह रही कि वह कैप्सूल जांच उपकरण की पकड़ में नहीं आ सका।
वह कैन्स्टर कम क्षमता का था, इसलिए बड़ा हादसा नहीं हुआ। इस तरह के कैन्स्टर में हानिकारक केमिकल 'गैस' भी हो सकती है। संसद में आने वालों की जांच के लिए पर्याप्त इंतजाम हैं, लेकिन केमिकल या पाउडर, अगर जूते में छिपा है, तो वह पकड़ में नहीं आता है। अगर कोई स्टील या दूसरी धातू का उपकरण है, तो वह पकड़ में आ जाता है। यह सुरक्षा में एक बड़ी चूक है। पुलिस पूछताछ में इस बात का खुलासा होगा कि आरोपी ने खुद को जांच के दायरे से कैसे बचाया है। गैस का कैन्स्टर, सुरक्षा उपकरणों की पकड़ में इसलिए भी नहीं आ सका, क्योंकि उसे प्लास्टिक या किसी दूसरे ऐसे मैटेरियल में रखा गया था, जो सुरक्षा जांच के दौरान, उपकरणों की पकड़ में नहीं आ सका। इस मामले में चार आरोपी पकड़े गए हैं। दो आरोपी संसद के बाहर भी मौजूद थे। जैसे ही संसद के भीतर हंगामा हुआ, उन्होंने संसद के बाहर वही कैप्सूल छोड़ दिया।