क्लाइमेट ट्रेंड्स की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, 2015 से 2022 के बीच आए चक्रवातों से 44 अरब डॉलर का नुकसान हुआ है। वहीं, 2,531 लोगों की जान गई है। हाल ही में चक्रवात मिचौंग ने तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश को प्रभावित किया। क्लाइमेट ट्रेंड्स की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, आंध्र प्रदेश में लगभग 29 लाख लोग चक्रवातों की चपेट में हैं।
भारत में चक्रवाती तूफान का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है। इस साल भारतीय तट पर कुल छह चक्रवातों ने भारी तबाही मचाई है। इसमें अरबों डॉलर का नुकसान हुआ है और 500 से अधिक लोग हताहत हुए हैं। विशेषज्ञ इसका सबसे बड़ा कारण अल-नीनो को मानते हैं।
2015 से 2022 के बीच आए चक्रवातों से 44 अरब डॉलर का नुकसान हुआ है। वहीं, 2,531 लोगों की जान गई है। हाल ही में चक्रवात मिचौंग ने तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश को प्रभावित किया। क्लाइमेट ट्रेंड्स की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, आंध्र प्रदेश में लगभग 29 लाख लोग चक्रवातों की चपेट में हैं।
33 लाख लोग ऐसे हैं, जो समुद्र तट के 5 किमी. के भीतर के दायरे में रहते हैं। इसमें कहा गया है कि तटीय तमिलनाडु में भी इसी तरह चक्रवात आने का खतरा है। विशेषज्ञों के अनुसार, हाल के वर्षों में चक्रवाती तूफानों में वृद्धि का प्रमुख कारण अल-नीनो, हिंद महासागर द्विध्रुवीय और मैडेन-जूलियन दोलन जैसी समुद्री-वायुमंडलीय घटनाओं की एक शृंखला है।
2019 में चक्रवात फैनी से 12,000 करोड़ का अनुमानित आर्थिक नुकसान हुआ। साथ ही ओडिशा के तटीय जिलों में 500,000 से अधिक घर क्षतिग्रस्त हुए थे। 2013 में चक्रवात फैलिन से 8,902 करोड़ का आर्थिक नुकसान हुआ। इसी तरह 2020 में चक्रवात अम्फान से पश्चिम बंगाल के बुनियादी ढांचे और फसलों को 1 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान के जलवायु वैज्ञानिक रॉक्सी मैथ्यू कोल ने कहा, चूंकि महासागर जलवायु परिवर्तन से 93 फीसदी से अधिक अतिरिक्त गर्मी को अवशोषित करते हैं। इसलिए भी अल-नीनो मजबूत हो रहा है। कोल ने कहा कि हिंद महासागर के गर्म होने के चलते हाल के दशकों में महासागर-चक्रवात परस्पर बदलाव सामने आए हैं।
जलवायु परिवर्तन के विशेषज्ञ अविनाश मोहंती ने कहा, अरब सागर और बंगाल की खाड़ी दोनों में कमजोर तूफानों का तेजी से तीव्र होना गंभीर चक्रवातों में बदल गया है। उन्होंने कहा, सीओपी28 (कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज) नुकसान और क्षति कोष का संचालन करता है। सरकार को एक बेहतर आपातकालीन प्रतिक्रिया ढांचे में निवेश करना चाहिए, जिससे जलवायु जोखिम मूल्यांकन और जिंदगियों को नुकसान, आजीविका और महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे से निपटने के लिए तैयारी का जा सके।