महिला कलाकारों के बैंड ने पारंपरिक वाद्य यंत्रों का वादन कर माहौल को पूरी तरह से भारतीयता के रंग में रंग दिया।
75वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर दिल्ली में कर्तव्य पथ पर परेड की शुरुआत 'आह्वान' से हुई। 100 से ज्यादा महिला कलाकारों द्वारा पारंपरिक वाद्य यंत्रों का वादन परेड का मुख्य आकर्षण रहा। महिला कलाकारों के बैंड ने पारंपरिक वाद्य यंत्रों का वादन कर माहौल को पूरी तरह से भारतीयता के रंग में रंग दिया। 112 महिला कलाकारों वाले बैंड ने विभिन्न प्रकार के लोक और आदिवासी ताल वाद्ययंत्रों को वादन किया, जो महिलाओं की ताकत और कौशल का एक शक्तिशाली प्रतीक बन गया। मनमोहक ध्वनियों के बीच, 20 कलाकारों ने महाराष्ट्र के ढोल और ताशे की लयबद्ध ताल का प्रदर्शन किया और 16 कलाकारों ने तेलंगाना के पारंपरिक डप्पू का लयबद्ध वादन किया।
बैंड में पश्चिम बंगाल के ढाक और ढोल बजाने में 16 महिला कलाकार भी शामिल रहीं, साथ ही आठ कलाकार शंख बजा रहीं थी, जो सुनने के अनुभव को और बेहतर बना रहे थे। बैंड के सुरों को बढ़ाते हुए 10 कलाकारों ने केरल के पारंपरिक ड्रम चेंडा का वादन किया और 30 कलाकारों ने कर्नाटक के ऊर्जावान ढोलू कुनिथा का प्रदर्शन किया। नादस्वरम, तुतारी और झांझ को संभालने वाले चार कलाकारों के साथ संगीत समारोह अपने चरम पर पहुंच गया, जिससे कर्तव्य पथ पर भारतीय संस्कृति के अनूठे रंगों का शानदार प्रदर्शन हुआ।