जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस केवी विश्वनाथन ने 4 जनवरी के पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के आदेश में दखल देने से इनकार कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को पंजाब सरकार की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें पंजाब सरकार ने कांग्रेस विधायक सुखपाल खैरा को एनडीपीएस मामले में जमानत देने की मांग की थी। जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस केवी विश्वनाथन ने 4 जनवरी के पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के आदेश में दखल देने से इनकार कर दिया।
पंजाब सरकार की तरफ से वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ लूथरा सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए। पीठ ने वकील सिद्धार्थ लूथरा से कहा कि 'खैरा पर लगे आरोप गंभीर हैं और मामले की परिस्थिति को देखते हुए वह हाईकोर्ट के आदेश में कोई दखल नहीं देंगे।' सुखपाल खैरा को बीते साल सितंबर में गिरफ्तार किया गया था। एसआईटी एनडीपीएस (Narcotic Drugs and Psychotropic Substances) मामले की जांच कर रही है। इस मामले में नौ लोग दोषी ठहराए गए हैं, जिनमें कथित तौर पर सुखपाल खैरा का करीबी गुरुदेव सिंह भी शामिल है।
15 जनवरी को कपूरथला की अदालत ने खैरा को जमानत दे दी थी। सुखपाल खैरा ने साल 2015 में कांग्रेस छोड़ दी थी और आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए थे। खैरा आम आदमी पार्टी की तरफ से पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता भी रहे। साल 2019 में खैरा ने आम आदमी पार्टी को भी अलविदा कह दिया और पंजाब एकता पार्टी के नाम से अपनी पार्टी बनाई। हालांकि जून 2021 में खैरा फिर से कांग्रेस में शामिल हो गए थे।
एनडीपीएस मामला ड्रग्स से जुड़ा है। पंजाब पुलिस ने मार्च 2015 में इस मामले में जलालाबाद सदर थाने में एफआईआर दर्ज की थी। इस मामले में फाजिल्का की कोर्ट ने 9 लोगों को दोषी ठहराया था। कुछ अभियुक्तों से पूछताछ के दौरान सुखपाल खैरा का नाम सामने आया था। पुलिस ने इस मामले में अभियुक्तों के पास से दो किलो हेरोइन, 24 सोने के बिस्किट, भारत में निर्मित पिस्टल, .315 बोर की पिस्टल और पाकिस्तान के दो सिम कार्ड जब्त किए हैं।