भारतवंशी रामास्वामी को समर्थकों ने माना उपराष्ट्रपति

Date: 2024-01-18
news-banner

अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव 2024 की प्रारंभिक प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। प्रत्याशियों को चुने जाने के इस प्रोसेस में भारतवंशी विवेक रामास्वामी को उनके समर्थक उपराष्ट्रपति मान रहे हैं। समर्थकों ने आयोवा में ट्रंप के सामने नारे लगाए। इस पर उन्होंने जवाब भी दिया।


अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव 2024 के लिए रेस शुरू हो चुकी है। रिपब्लिकन पार्टी (GOP) की तरफ से भारतवंशी विवेक रामास्वामी भी ताल ठोक रहे थे। हालांकि, आयोवा कॉकस चुनाव में पिछड़ने के बाद उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को समर्थन दिया। खास बात ये कि ट्रंप के सामने रामास्वामी के समर्थकों ने उन्हें अमेरिका का भावी उपराष्ट्रपति करार दिया। इस पर कद्दावर रिपब्लिकन नेता ट्रंप ने जवाब भी दिया। इससे पहले आयोवा कॉकस के परिणाम आने के बाद ट्रंप ने कहा था कि भारतवंशी नेता रामास्वामी लंबे समय तक उनके साथ काम करेंगे। इसे भी बड़े फैसले का संकेत माना गया।


रामास्वामी के समर्थक उनके समर्थन में नारेबाजी कर रहे हैं। ट्रंप की मौजूदगी में हुई नारेबाजी में रामास्वामी के समर्थक वीपी-वीपी (उपराष्ट्रपति) कहते सुने जा सकते हैं। इस पर पूर्व राष्ट्रपति ने जवाब दिया। 38 साल के भारतवंशी-अमेरिकी रामास्वामी ने अपने समर्थकों के साथ-साथ आयोवा की जनता से ट्रंप का साथ देने की अपील भी की। उन्होंने ट्रंप को अमेरिकी देशभक्त बताया और कहा कि 2024 के चुनाव में उनका राष्ट्रपति बनना बेहद जरूरी है।


रामास्वामी को सच्चा दोस्त और नेता बताते हुए ट्रंप ने समर्थकों के नारे के बाद कहा, 'बहुत अच्छा, है ना? वह एक शानदार लड़का है। इनमें कुछ ऐसा है जो बेहद खास है। वह हमारे साथ काम करने जा रहा है।' इतना कहने के साथ ट्रंप ने यह भी कहा कि रामास्वामी लंबे समय तक उनके साथ काम करेंगे। यह भी दिलचस्प है कि रामास्वामी के समर्थकों से इतर अमेरिकी सियासत के जानकार उनके उपराष्ट्रपति बनने की संभावनाओं को प्रबल नहीं मानते।


रामास्वामी को पूर्व राष्ट्रपति का संभावित साथी मानना जल्दबाजी होगी। इसकी संभावनाएं बहुत कम है। मतदाता उन्हें खारि कर सकते हैं। यह कहना सुरक्षित है कि विवेक रामास्वामी उपराष्ट्रपति नहीं होंगे।


विवेक और ट्रंप के रिश्तों का एक पहलू यह भी है कि कुछ दिनों पहले चुनावी अभियान के दौरान ही उन्होंने रामास्वामी के अभियान को अमेरिका के साथ धोखा करार दिया था। इसकी पृष्ठभूमि में विवेक के अभियान के दौरान पहनी गई टीशर्ट को माना गया, जिस पर लिखा था, 'ट्रंप को बचाएं, विवेक को वोट दें।' विवेक पर तीखा हमला करते हुए ट्रंप ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लिखा था, 'बहुत चालाक, लेकिन विवेक को वोट देना 'दूसरे पक्ष को समर्थन' जैसा है। इससे धोखा मत खाइए। अपने वोट बर्बाद न करें। ट्रंप को वोट करें। वे अमेरिका को दोबारा महान (एमएजीए) नहीं बनाएंगे।'


आयोवा कॉकस के  40 प्रतिनिधियों में 20 ट्रंप के साथ हैं। यहां कुल 56,250 वोट डाले गए, जिसमें ट्रंप ने 32,840 वोटों के अंतर से जीत हासिल की। फ्लोरिडा के गवर्नर को रॉन डेसेंटिस आठ प्रतिनिधियों के वोट साथ दूसरे स्थान पर रहे। संयुक्त राष्ट्र की पूर्व राजदूत निक्की हेली सात प्रतिनिधियों के समर्थन के साथ तीसरे नंबर पर रहीं। भारतीय मूल के नेता विवेक रामास्वामी ने राष्ट्रपति पद की रेस से बाहर होने के बाद कहा, वे अमेरिका और रिपब्लिकन पार्टी की सेवा करना चाहते हैं। इसलिए ट्रंप के समर्थन का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा, रॉन डेसेंटिस और निक्की हेली जैसे रिपब्लिकन नेताओं को भी ट्रंप का समर्थन करते हुए खुद को राष्ट्रपति उम्मीदवार बनने की रेस से बाहर कर लेना चाहिए।

Leave Your Comments