इस साल 'भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र' के लिए एक बड़ी उपलब्धि यह रहेगी कि आई4सी के साथ देश के सभी सरकारी और गैर सरकारी बैंक जुड़ जाएंगे। इससे साइबर अपराध से निपटने में बड़ी मदद मिलेगी। केंद्रीय एजेंसियों और बैंकों के बीच समन्वय पुख्ता हो जाएगा। इसके माध्यम से समय रहते साइबर अपराध की घटना को काउंटर किया जा सकेगा।
देश में साइबर अपराधियों के हौंसले बुलंद हैं। वे रोजाना ही साइबर अटैक की कोई न कोई तकनीक इस्तेमाल करते रहते हैं। साइबर हमलों का शिकार केवल आम आदमी ही नहीं, बल्कि सरकारें और विभिन्न वित्तीय संस्थान भी बनते हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय में साइबर क्राइम से निपटने के लिए स्थापित किए गए 'भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र' (आई4सी) के सीईओ राजेश कुमार ने बुधवार को यह खुलासा किया है।
देश में रोजाना साइबर अपराध के चलते 50000 कॉल मिल रही हैं। एक लाख लोगों पर 129 शिकायतें दर्ज हो रही हैं। कुमार ने बताया, अगर एक घंटे के भीतर साइबर अपराध से जुड़ी शिकायत मिलती है तो पैसे के नुकसान से बचाव हो सकता है। साल 2023 में सेक्सटॉर्शन फ्रॉड के 19000 केस सामने आए हैं।
भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र' (आई4सी) के सीईओ राजेश कुमार ने बताया कि जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान हर 60 सेकेंड में 16 लाख साइबर अटैक हुए थे। केंद्रीय एजेंसियों ने अपनी त्वरित कार्रवाई के जरिए साइबर अपराधियों को उनके मंसूबों में कामयाब नहीं होने दिया। अभी तक साइबर क्राइम को लेकर 46229 डिवाइस भी ब्लॉक किए गए हैं। पहले सिम कार्ड, वेबसाइट या ऐप को ही ब्लॉक किया जाता था।
इस साल 'भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र' के लिए एक बड़ी उपलब्धि यह रहेगी कि आई4सी के साथ देश के सभी सरकारी और गैर सरकारी बैंक जुड़ जाएंगे। इससे साइबर अपराध से निपटने में बड़ी मदद मिलेगी। केंद्रीय एजेंसियों और बैंकों के बीच समन्वय पुख्ता हो जाएगा। इसके माध्यम से समय रहते साइबर अपराध की घटना को काउंटर किया जा सकेगा।
मौजूदा समय में कुछ ही बैंक आई4सी के साथ जुड़े हैं। क्रिप्टों करेंसी के मामले में केंद्रीय गृह मंत्रालय की टीम विभिन्न राज्यों में जाकर, विभिन्न एजेंसियों को ट्रेनिंग दे रही है। साइबर अपराध के जरिए जो वित्तीय चपत लगती है, उसकी त्वरित भरपाई के लिए एक ठोस मेकेनिज्म पर काम हो रहा है। गुजरात में लोक अदालत और कर्नाटक में कोर्ट द्वारा इस दिशा में सराहनीय कार्य किया जा रहा है। अभी वित्तीय फ्रॉड के मामले में बैंक से जब नुकसान की भरपाई की मांग की जाती है या संबंधित पीड़ित की राशि वापस देने की बात होती है तो बैंक द्वारा अदालत का आदेश मांगा जाता है।
इस प्रक्रिया में ज्यादा समय लगता है। इससे पीड़ित व्यक्ति की परेशानी बढ़ जाती है। इस समस्या का हल करने की दिशा में आई4सी द्वारा विशेष प्लानिंग की जा रही है। यह प्रक्रिया अंतिम चरण में है। कानूनी सलाह ली जा रही है। उम्मीद है कि कुछ माह के बाद नई व्यवस्था अमल में आ जाएगी। इसके बाद पीड़ित को अपनी राशि के लिए बैंकों के यहां चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे।
साइबर अपराध की घटनाओं को अंजाम देने में विदेशी लोगों का भी बड़ा हाथ है। चीन व कंबोडिया सहित कई देशों में बैठे साइबर अपराधी, ऐसी घटनाओं के लिए जिम्मेदार होते हैं। साइबर अपराध की कुल घटनाओं में 40 से 50 प्रतिशत मामलों को विदेशों में बैठे गैंग अंजाम दे रहे हैं। इसके लिए संबंधित देशों की सरकारों के साथ बातचीत होती है। साइबर अपराध के चलते जो राशि ब्लॉक की गई है, वह 1127 करोड़ रुपये है। इसमें से लगभग 10 प्रतिशत रिक्वरी हुई है।
बतौर राजेश कुमार, रिक्वरी का यह प्रतिशत लगातार बढ़ रहा है। देश में हर व्यक्ति को साइबर अपराध की शिकायत के लिए '1930' हेल्पलाइन नंबर याद रखना चाहिए। इस नंबर के जरिए रोजाना 50000 कॉल दर्ज हो रही है। यानी इतनी बड़ी संख्या में लोग इस हेल्पलाइन का इस्तेमाल कर रहे हैं।
साइबर अपराध के चलते 295461 सिम कार्ड ब्लॉक किए गए हैं। राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (एनसीआरपी) के तहत 2810 वेबसाइट ब्लॉक हुई हैं। 46229 आईएमईआई नंबर ब्लॉक किए गए हैं। एनसीआरपी पर साइबर अपराध की शिकायतें लगातार बढ़ रही हैं। 2019 में 26049 शिकायतें मिली थीं। 2020 में 257777, 2021 में 452414, 2022 में 966790 और 2023 में 1556176 शिकायतें दर्ज हुई हैं। साल 2022 के मुकाबले 2023 में शिकायतों का ग्राफ 60.9 प्रतिशत बढ़ा है।